Thursday, December 4, 2014

Pappu Pahlwan Akhada , Shamsabad.


Here in these photographs, you can find Vikram Yadav, his Coach Pappu Pahlwan and other wrestlers mates. These photos are taken at the Shamshabad Akhada, run by Guru Pappu Pahlwan. It the sand of this akhada , which has made me what I am. and I will serve this sand throughout my life says Pappu Pahlwan. He said Vikram is a fast learner and is a promising wrestler of our akhada.










इन तस्वीरों में विक्रम , पहलवान उनके कोच व् गुरु पप्पू पहलवान , और उनके साथी पहलवान हैं।  पप्पू पहलवान बताते हैं की आज जीवन में वो जो कुछ भी हैं , अखाड़े की मिटटी की वजह से हैं।  वो हमेशा अखाड़े की सेवा करते रहेंगे।  पप्पू पहलवान अपने समय के और साथी पहलवानो हिन्द केसरी राजू , भगत पहलवान और भी कई पहलवानो के बारे में बताते हैं।  उनसे उनकी कुश्तियां  हुई जिनको इलाके के लोगों ने खूब सराहा।  
विक्रम होनहार पहलवान हैं , और ये एकदिन अपने अखाड़े , प्रदेश और देश का नाम जरूर ऊँचा करेगा।  पप्पू पहलवान ने बताया।  















Wednesday, November 26, 2014

A file photo of Vikram Pahlwan his family members and Freinds.



A file photo of Vikram Pahlwan his family members and Freinds. 




मै जानता हूँ की सोने की पालकी में ही प्रतिभाएँ जन्म नहीं लेती ! 
और शहरों की चकाचौंध में , लोग विश्वाश करना भूल गए हैं  की , भारत भूमि के कोने कोने में अभ्यास होता हैं।  वहां प्रतिभाएं हैं।  दूर किसी गाँव में भी उतनी ही अनंत सम्भावनाएँ हैं जितनी किस राज्य की राजधानी या देश की राजधानी दिल्ली में।  लेकिन कुछ लोग जिनके सांप के से मुँह हैं , और जिनकी लोमड़ी की सी चाल हैं , जिनके  भीतर के चंद पैसों के लालची भेड़ियें किसी प्रतिभा को  पहचानने से इंकार कर देते हैं,  वे जो चांदी के  चन्द  सिक्कों पे  अपना ईमान बेच चुके हैं , उन्हें किसी की सिफारिश या फिर नकदी देकर ही अपने वजूद का विश्वाश दिलाया जा सकता हैं।  उन्हें कहाँ मालूम की भारत वीरों की भूमि हैं, विद्वानो की भूमि  हैं।  दुनिया की महान प्रतिभाओं ने पूरे भारत वर्ष में  जगह- जगह  जन्म लिया हैं और लेते रहे हैं। तब कहीं बहुमंजिला इमारतें नहीं थी, एयर कंडीशन कमरे नहीं थे। और आज भी किसी प्रतिभा को जन्म लेने की लिए किसी फाइव स्टार अस्पताल की जरूरत नहीं हैं, हिन्दुस्तान की मिटटी में हज़ारों चमकते लाल पैदा हुए हैं , और होंगे।   आज भी भारत भूमि पर न जाने कितनी प्रतिभाएं, सुविधाओं और पहचान के अभाव में अपना वजूद खो चुकी हैं।  फार्म भरते भरते सीधे साधे  लोग टूट चुके हैं।  अफसरों के आगे सलाम ठोकने और नेताओं के पैर छूने के बावजूद एक दिलासा ही मिल पता हैं।  कब वो दिन आएंगे जब इन प्रतिभाओ को भी आगे आने का मौका मिलेगा ? 
आज तो किसान के बेटों की वो हालत हैं जिसे शब्दों में बयान करना कठिन हैं 
महाकवि निराला ने इस ब्यथा को इस प्रकार  शब्दों में ढाला हैं।  

सह जाते हो
उत्पीड़न की क्रीड़ा सदा निरंकुश नग्न,
हृदय तुम्हारा दुबला होता नग्न,
अन्तिम आशा के कानों में
स्पन्दित हम - सबके प्राणों में
अपने उर की तप्त व्यथाएँ,
क्षीण कण्ठ की करुण कथाएँ
कह जाते हो
और जगत की ओर ताककर
दुःख हृदय का क्षोभ त्यागकर,
सह जाते हो।
वो इस सिस्टम को , इस ब्यथा को नहीं बर्दाश्त कर पाते और वंचित बच्चे से कह जाते हैं  : -
ठहरो, अहो मेरे हृदय में है अमृत, मैं सींच दूंगा।
अभिमन्यु जैसे हो सकोगे तुम
तुम्हारे दु:ख मैं अपने हृदय में खींच लूंगा।


मै सोचता हूँ की आज महाप्राण निराला की जगह लेने वाला कौन हैं ? 

Thanks,
Pahalwan ji 
( Deepak A.P.)



This is video of Vikram fighting in a wrestling competition . He is  simple and amiable outside the arena but inside he is swift and strong like a croc. He pounces fast on his pray and sometimes becomes too dangerous and received one and two warning from the referee.


Vikram Yadav

A  file photo of Vikram, exercising at his Akhada, nearby his home.