Thursday, January 14, 2016

TAPA KHURD KA DANGAL




28 अगस्त 2015
रक्षा बंधन के उपल. क्ष्य में ,
टापा खुर्द फीरोजाबाद , विराट कुश्ती दंगल
गाँव टापा खुर्द , कोटला रोड , कमल बिहार कॉलोनी , फीरोजाबाद।
गाँव टापा खुर्द का यह विराट दंगल इक्यावन वर्ष पुराना दंगल हैं। हर साल रक्षाबन्धन से एक दिन पहले , यह दंगल कराया जाता हैं। खुर्द गाँव से यदि आप पांच दस किलोमीटर दूर भी हों , तो दूर तक लगे लॉउडस्पीकरों की आवाज आपको होने वाले दंगल की जगह बता देगी। आज यहाँ दंगल होगा कल मेला लगेगा। दंगल में बीचोबीच मिटटी को दो तीन या चार फूट उठा कर , चारों और रेलिंग लगा कर , शानदार अखाडा बनाया गया। एक और मुख्य अतिथियों के लिए स्टेज , तो बाकी दर्शकों के लिए बैठने की व्यवस्था। मुख्य अतिथियों को तिलक लगा बिल्ले लगाए गए। और उनको मंच की तरफ ले जाया गया।
दंगल में दिल्ली , राजस्थान , हरयाणा , मथुरा , एटा , इटावा , बनारस अलीगढ़ , आगरा , उज्जैन , देवास जैसे दूर दराज से पहलवान पहुंचे।
दंगल में मुख्य अतिथि राकेश बाबू , विधायक टूंडला ,उन्होंने रिबन काटकर , इस विराट कुश्ती दंगल का उदघाटन किया। दंगल के संयोजक रहे मान सिंह राठौर , सचिव नरेश पालीवाल , कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश राठौर , बंटू विद्यार्थी। मंत्री मोहित राठौर।
दंगल में कुश्तियां हुई।
जिला केसरी।
इस वर्ग में फाइनल लड़े क्षेत्र का बब्बर शेर पहलवान विक्रम यादव पहलवान और अनूप पहलवान टापा खुर्द गाँव। यह कुश्ती दस मिनट चली। अनूप यहाँ सेला पर लड़ता हैं , और अक्सर सूखा इनाम ले जाता हैं , बढ़िया पहलवान से जल्दी लड़ने भी कौन आये ? लेकिन विक्रम साहसी हैं , अपने से बड़े और उम्रदराज पहलवान से लड़ना आसान खेल नहीं। बचना होगा ,सोच समझ कर अटैक लगाना होगा , पहलवान के नीचे आ गए तो छठी का दूध याद आ जाए। अनूप अटैक मारा , विक्रम ने डिफेन्स किया , कुश्ती बहुत ऊपर नीचे रही। दोनों तरफ से पहलवानो के फैंस सांस रोके मुकाबला देखते रहे। इसी बीच दंगल कमिटी ने समय खत्म होने का संकेत दिया , और रेफ़री ने कुश्ती बराबर घोसित की। पंजाब या महाराष्ट्र की तर्ज पर यहाँ , कुश्ती बराबर छूटने पर पॉइंट्स की नहीं होती , कारण हैं पिछड़ेपन की वजह से अखाड़ों में मैट का न होना।
स्टूडेंट केसरी।
जिसमे प्रशांत और दीपक खुर्द फाइनल में भिड़े। दोनों की दस मिनट काँटा कुश्ती बराबरी पर छूटी। इस वर्ग में दस उम्दा पहलवानो ने भाग लिया।
तहसील केसरी।
जिसमे भोला और राम पहलवान लड़े। दोनों पहलां 65 -70 किलोग्राम वजनी थे , जोरदार मुकाबला हुआ। लेकिन यहाँ भी दोनों पहलवान बराबर रहे।
दंगल में छुट्टी की आखिरी कुश्ती , लोहागढ केसरी चित्रा पहलवान अखाडा शमसाबाद और धर्मबीर भिवानी हरयाणा के बीच। यह कुश्ती भी कांटेदार हुई , लेकिन बराबर रही।
अन्य मुख्य कुश्ती इस प्रकार हुई , बृजेश व करुआ बराबर। उमेश शमसाबाद व अनिल फतेहपुर बराबर , रामगोपाल व छोटू बराबर। डालचंद आगरा और भारत , भरतपुर , बाली शमशाबाद और सुदेश शादाबाद। बंटी शमशाबाद व अज्जु अलीगढ। सौरब सेमरा व सूरज। केपी व नकुल। सभी कुश्तियां बराबर रही। छोटी कुश्तियों में हारजीत हुई। लेकिन मैं दंगल कमिटी को कहना चाहूंगा जिन्होंने इतना बढ़िया दंगल कराया , उन्हें पहलवानो की कुश्तियाँ फाइनल कराने के लिए नियमो में अवश्य परिवर्तन करने चाहिए।
दंगल में परंपरा के अनुसार सभी गुरु खलीफाओं का पगड़ी पहना कर सम्मान किया गया। सभी पहलवानो की कुश्तियां कराई गई।
Thanks, Pahalwan ji ( Deepak A.P.)