
VIKRAM YADAV PAHLWAN is from a family of wrestlers of Firozabad , UP. his grandfather used to teach his father , who in turn taught him at the Akhada adjacent to his house. He is currently ranked at number three at Dangals. Also won medals at Destrict Level, and chosen to play for the state, Selling a chunk of his land to facilitate diet for him, was one of the biggest decision for his father who has 6 more children to look after ". only God knows what will happen after the funds will dry ?
Thursday, June 4, 2015
Friday, May 22, 2015
गाँव बराह , बाह तहसील , जिला आगरा , उत्तर प्रदेश बराह दंगल।
17 मई 2015 .
बराह दंगल।
गाँव बराह , बाह तहसील , जिला आगरा , उत्तर प्रदेश दंगल कमिटी , आयोजक देवेंदर पहलवान , पट्टे पहलवान , मंदाती पहलवान। मुख्य अतिथि। संत छैयां बाबा सरकार , जयपाल पहलवान। शर्मा जी ब्लॉक प्रमुख बराह। रेफ़री रामकुमार पंडत जी , First Prize match :- पहलवान निशांत गुरु जसराम अखाडा और रहमान अली पंजाब। Second Prize Match :- परवीन राजू राणा अखाडा मुरारी गोपाल आश्रम। Third Prize match : - छोटू पहलवान और करुआ पहलवान टूंडला। Third Prize match : - ब्रजेश पप्पू पहलवान अखाडा और भारत पहलवान मोरेना। विक्रम यादव पहलवान और जग्गू पहलवान दिल्ली। संदीप पहलवान बारह जीता।
छुट्टी की पहली कुश्ती पर निशांत और रहमान अली जब एक दूसरे के सामने आये तो इस कुश्ती को देखने के लिए बराह गाँव में लोगों का हज़्ज़ूम लग चूका था। छैयां बाबा , दंगल कमिटी के अध्यक्ष और मौजूद विशिष्ट अतिथियों ने दोनों पहलवानो के हाथ मिला कर कुश्ती का शुभारम्भ किया। कुश्ती के चौथे मिनट में निशांत ने कराशूल पर रहमान अली को उठा कर अखाड़े पर पटका तो रेफ़री रामकुमार पंडत निर्णय करने में चूक गए, उन्होंने कुश्ती को दुबारा बीच अखाड़े में लड़ने का संकेत दिया हालाँकि कुश्ती हो चुकी थी। लेकिन निशांत बिना प्रतिरोध किये एक बार फिर अपनी पूरी ताकत से रहमान अली पर झपटे और इस बार खपछड़े तोड़ कर रहमान अली की छाती पर जा बैठे। दंगल कमिटी के आयोजक ने रेफ़री से कहा कुश्ती देदो। अब कुछ बाकी बचा भी न था पंडत जी ने निशांत का हाथ उठाया और कुश्ती होने की घोषणा की।
बराह दंगल।
गाँव बराह , बाह तहसील , जिला आगरा , उत्तर प्रदेश दंगल कमिटी , आयोजक देवेंदर पहलवान , पट्टे पहलवान , मंदाती पहलवान। मुख्य अतिथि। संत छैयां बाबा सरकार , जयपाल पहलवान। शर्मा जी ब्लॉक प्रमुख बराह। रेफ़री रामकुमार पंडत जी , First Prize match :- पहलवान निशांत गुरु जसराम अखाडा और रहमान अली पंजाब। Second Prize Match :- परवीन राजू राणा अखाडा मुरारी गोपाल आश्रम। Third Prize match : - छोटू पहलवान और करुआ पहलवान टूंडला। Third Prize match : - ब्रजेश पप्पू पहलवान अखाडा और भारत पहलवान मोरेना। विक्रम यादव पहलवान और जग्गू पहलवान दिल्ली। संदीप पहलवान बारह जीता।
छुट्टी की पहली कुश्ती पर निशांत और रहमान अली जब एक दूसरे के सामने आये तो इस कुश्ती को देखने के लिए बराह गाँव में लोगों का हज़्ज़ूम लग चूका था। छैयां बाबा , दंगल कमिटी के अध्यक्ष और मौजूद विशिष्ट अतिथियों ने दोनों पहलवानो के हाथ मिला कर कुश्ती का शुभारम्भ किया। कुश्ती के चौथे मिनट में निशांत ने कराशूल पर रहमान अली को उठा कर अखाड़े पर पटका तो रेफ़री रामकुमार पंडत निर्णय करने में चूक गए, उन्होंने कुश्ती को दुबारा बीच अखाड़े में लड़ने का संकेत दिया हालाँकि कुश्ती हो चुकी थी। लेकिन निशांत बिना प्रतिरोध किये एक बार फिर अपनी पूरी ताकत से रहमान अली पर झपटे और इस बार खपछड़े तोड़ कर रहमान अली की छाती पर जा बैठे। दंगल कमिटी के आयोजक ने रेफ़री से कहा कुश्ती देदो। अब कुछ बाकी बचा भी न था पंडत जी ने निशांत का हाथ उठाया और कुश्ती होने की घोषणा की।

कुश्ती होगी तो एक पहलवान जीतेगा ही , इसी में कुश्ती का मजा हैं , कुश्ती का भला हैं और पहलवानो की तारीफ़। और हमारे लिखने का भी। बराबर कुश्ती होने पर न पहलवानो को इनाम ठीक मिलता हैं , न दर्शकों को पूरा मनोरंजन। हाँ इस बार वराह गाँव में देश के दो बड़े पहलवानो की कुश्ती का निर्णय होते देखना गाँव वालों के लिए सौभाग्य की बात थी।
निशांत राजपूत गुरु जसराम व् रहमान अली दोनों चोटी के पहलवान हैं। आज की तारीख में दोनों भारत के सर्वाधिक अनुभवी कुश्ती खिलाडियों में सर्वोपरि गिने जाते हैं। पूरे हिन्दुस्तान में शायद ही कोई ऐसा नामी पहलवान होगा जिनसे इनकी कुश्ती न हुई हो । मैट और मिटटी दोनों पर बहुत बढ़िया लड़ते हैं निशांत पहलवान इनकी कुश्तियां पहलवान बड़ा सोनू मांडोति , राजू बाघु , राजीव तोमर गुरु हनुमान , हितेश , अनिल मान , सोहन , श्रीपाल , मुकुल पहलवान , पलविंदर चीमा , जगदीश कालीरमन , राकेश पटेल , राजबीर टुंडा , परवीन पड्डा जैसे देश के चोटी के पहलवानो के साथ हुई. वहीँ रहमान पहलवान भी कम नहीं। पांच भाई हैं पाँचों उम्दा पहलवान , इनके भाई गनी पहलवान के नाम का डंका भी देश भर की मिटटी की कुश्तियों में बज रहा हैं।







बराह में हमेशा महिलाओं की कुश्तियां भी आयोजित की जाती रहीं हैं। इस बार भी महिलाओं की कुश्तियां देखना सुखद रहा। दूर दराज से आई महिला पहलवानो ने अपनी कुश्ती कला को दिखा दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर दिया। मुझे इस बात पर गर्व हैं की हमारा कुश्ती समाज महिलाओं की भरी पूरी कद्र करता हैं। हालाँकि मीडिया में हमेशा ग्रामीण समाज को विपरीत ही दर्शाया जाता हैं। ग्रामीण समाज ही वो समाज हैं जहाँ लक्ष्मीबाई , चेन्नम्मा , तीलू रौंतेली जैसी वीरांगनाओं ने जन्म लिया और युद्धभूमि में अपने जौहर दिखाए। जरूरत हैं की महिलायें भी आगे आएं और कुश्ती से जुड़ें। आज पहलवानो की कुश्तियों का इनाम लाखों में पहुँच रहा हैं। इसमें महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी। महिलाओं की अनदेखी , ओलिंपिक में से कुश्ती को बाहर निकालने के कई कारणों में ये भी एक कारण था। हिन्दुस्तान में कम से कम ऐसा तो नहीं हैं।
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